एक दुर्लभ स्वपीड़ित प्रकट होती है। शुरू से ही, वह पेट पर मुक्का मारने की भीख माँगती है। सौर जाल पर एक ही मुक्का 'बूग!' की आवाज़ करता है और वह आनंदित दिखती है। उसकी योनि काँपती है। उसका चेहरा सिसकते हुए और गहरे गले में चुसाई के दौरान खराब हो जाता है। वह ज़ोर-ज़ोर से साँस लेती है और खुश दिखती है। उसे रस्सी से लटका दिया जाता है और उसके गले पर हमला किया जाता है, जबकि उसकी नाक बंद हो जाती है और वह हिल भी नहीं पाती। वह अपनी आँखें पीछे करके, लार टपकाते हुए चरमोत्कर्ष पर पहुँचती है। तीन दुष्ट लंड भी दिखाई देते हैं। रस्सी से उसका गला घोंटा जाता है और पेट पर मुक्का मारने वाले खिलौने से उसे सहलाया जाता है। गहरे गले और योनि का एहसास इतना अच्छा होता है कि उसका दम घुटने लगता है। कहानी में जितना आगे आप आगे बढ़ते हैं, उसकी स्वपीड़ित त्वचा उतनी ही उधड़ती जाती है, और यह स्वपीड़ित रयोश्का की यौन मुक्ति की सालगिरह है।